क्या आप जानते हैं आप के कुल देवता कौन है??


-: कुल देवता : -



प्रत्येक इंसान के कुल और कुटुम्ब के लोगों के कुल देवता या देवी होती थी। उनके कुलदेवी के खास स्थान पर मंदिर होते थे। सभी कहीं भी रहे लेकिन वर्ष में एक बार उनको उक्त मंदिर में आकर पूजा करनी होती थी और धोक देना होती थी। कुलदेवी के मंदिर से जुड़े होने से उस कुल का व्यक्ति कई पीढ़ीयों के बाद में भी यह जान लेता था कि यह मेरे कुल का मंदिर या कुल देवता का स्थान है।
इस तरह एक ही कुल समूह के लाखों लोग होने के बावजूद एक स्थान और देवता से जुड़े होने कारण अपने कुल के लोगों से मिल जाते थे। कुल मंदिर एक तरह से खूंटे से बंधे होने का काम करता था और उसके देवी या देवता भी इस बात का उसे अहसास कराते रहते थे कि तू किस कुल से और कहां से है। तेरा मूल क्या है। उस दौर में किसी भी व्यक्ति को अपने मूल को जानने के लिए इससे अच्छी तकनीक ओर कोई नहीं हो सकती थी। आज भी हिन्दुओं के कुल स्थान और देवता होते हैं। यह एक ही अनुवांशिक संवरचना के लोगों के समूह को एकजुट रखने की तकनीक भी थी।
 
आजकल ये संभव है कि किसी खुदाई में मिली सौ साल पहले मरे किसी इंसान की हड्डी को वैज्ञानिक, प्रयोगशाला में ले जाकर उसके डीएनए की जांच करें और फिर आपके डीएनए के साथ मेलकर के बता दें कि वे आपके परदादा की हड्डी है या नहीं। इसी तरह उस दौर में व्यक्ति खुद ही जान लेता था कि मेरे परदादा के परदादा कहां और कैसे रहते थे और वे किस कुल के थे।
इसी तरह हजारों साल तक लोगों ने अपने तरीके से अपने जेनेटिक चिह्नों और पूर्वजों की याद को गोत्र और कुल के रूप में बनाए रखा। इन वंश-चिह्नों को कभी बिगड़ने नहीं दिया, कभी कोई मिलावट नहीं की ताकि उनकी संतान अच्छी होती रहे और एक-दूसरे को पहचानने में कोई भूल न करें। आज भी हिन्दू यह कह सकता है कि मैं ऋषि भार्गव की संतान हूं या कि मैं अत्रि ऋषि के कुल का हूं या यह कि मैं कश्यप ऋषि के कुटुम्ब का हूं। मेर पूर्वज मुझे उपर से देख रहे है!

यदि आपके कुल का एक भी व्यक्ति अच्छा निकल गया तो समझे की वह कुल तारणहार होगा और यदि बुरा निकल गया तो वह कुलहंता कहलाता है। कुलनाशक के लिए गीता में विस्तार से बताया गया है कि वह किस तरह से मरने के बाद दुर्गती में फंसकर दुख पाता है। जिन लोगों ने या जिनके पूर्वजों ने अपना कुल, धर्म और देश बदल लिया है उनके लिए 'अर्यमा' और 'आप:' नामक देवों ने सजा तैयार कर रखी है।
जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्री राम

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